वो निकली थी घर से तक़दीर बदलने अपनी। वो निकली थी घर से तक़दीर बदलने अपनी।
सबको पथ दिखलाने वाला। ऐसा भारत देश निराला।। सबको पथ दिखलाने वाला। ऐसा भारत देश निराला।।
उन बलिदानों के सम्मान में हम सब ध्वज आरोहण करते हैं। उन बलिदानों के सम्मान में हम सब ध्वज आरोहण करते हैं।
" नीरज" को चाहत है सिर्फ प्रेम- रंग की, भूलूँगा कभी न एहसान तुम्हारा। " नीरज" को चाहत है सिर्फ प्रेम- रंग की, भूलूँगा कभी न एहसान तुम्हारा।
फागुन में झूमे तन मन, जग को मिले नया जीवन। फागुन में झूमे तन मन, जग को मिले नया जीवन।
ग्रीष्म ऋतु की आहट आयी चारों और बस यही है छायी होली आयी होली आयी! ग्रीष्म ऋतु की आहट आयी चारों और बस यही है छायी होली आयी होली आयी!